महंगाई की समस्या पर निबंध : Mehangai Par Nibandh 200-500 Words
महंगाई की समस्या पर निबंध : Mehangai Par Nibandh 200-500 Words
Mehangai Par Nibandh महँगाई की समस्या रूपरेखा :-
- प्रस्तावना-
- कृषि-
- प्रशासन की उदासीनता-
- आयात नीति कभी-
- जनसंख्या में वृद्धि-
- घाटे का बजट-
- अव्यवस्थित वितरण प्रणाली-
- धन का असमान वितरण-
- समस्या का निदान
- उपसंहार-
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“जब आदमी के हाल पे आती है मुफलिसी।
किस-किस तरह से उसको सताती है मुफलिसी ।”
प्रस्तावना- Mehangai Par Nibandh भारत में इस समय जो आर्थिक समस्याएँ विद्यमान हैं, उसमें महँगाई एक प्रमुख समस्या है। अधिकाँश वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि केवल भारत की ही समस्या नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि अब अधिकांश विकासशील देशों में विशेष रूप से तथा संसार के अन्य देशों में साधारण रूप से यह समस्या विद्यमान है। संसार के अधिकांश देशों में मुद्रा-प्रसार की प्रवृत्ति इसका मुख्य कारण है। भारत में पिछले दो दशकों में सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में अत्यन्त तीव्रता से वृद्धि हुई है। वृद्धि का यह चक्र आज भी गतिवान है।
भारत में अधिकांश वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि के बहुत से कारण हैं। इन कारणों में अधिकांश आर्थिक कारण हैं, किन्तु कुछ कारण गैर-आर्थिक भी हैं। इन कारणों में से प्रमुख रूप से उल्लेखनीय कारण निम्नलिखित हैं-
कृषि- उत्पादन कृषि पदार्थों की कीमतों में निरन्तर वृद्धि का एक प्रमुख कारण उन समस्त वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में वृद्धि है Mehangai Par Nibandh जो कृषि के लिए आवश्यक हैं। कृषि उर्वरकों के मूल्यों में वृद्धि, सिंचाई की दरों में वृद्धि, बीज के दामों में वृद्धि, कृषि मजदूरों की मजदूरी की दर में वृद्धि आदि कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिनमें वृद्धि होने से स्वाभाविक रूप से ही उसका प्रभाव कृषि-पदार्थों पर पड़ता है।
भारत में अधिकांश वस्तुओं का मूल्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पदार्थों के मूल्यों से सम्बन्धित है। यही कारण है कि जब किसी भी कारण से या कई कारणों से कृषि मूल्य में वृद्धि होती है तो उसके परिणामस्वरूप देश में अधिकांश वस्तुओं के मूल्य प्रभावित हो जाते हैं। Mehangai Par Nibandh
प्रशासन की उदासीनता- साधारणतः प्रशासन के स्वरूप पर यह निर्भर करता है कि देश में अर्थव्यवस्था एवं मूल्य-स्तर सन्तुलित होगा या नहीं। प्रभावशाली प्रशासक होने से कृत्रिम रूप से वस्तुओं और सेवाओं की पूर्ति में कमी करना व्यापारियों के लिए कठिन हो जाता है। अतः उस परिस्थिति में कीमतों में निरन्तर एवं अनियन्त्रित रूप में वृद्धि करना अत्यन्त कठिन हो जाता है। Mehangai Par Nibandh
आयात नीति कभी- कभी आयात सम्बन्धी गलत नीति के फलस्वरूप भी देश में वस्तुओं की कमी एवं कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है। यह सही है कि देश में जहाँ तक सम्भव हो, आयात कम होना चाहिए- विशेष रूप में उपयोग की वस्तुओं का आयात अधिक नहीं होना चाहिए। किन्तु यदि देश में वस्तुओं की पूर्ति माँग की तुलना में कम हो तो आयात की आवश्यकता होती है। यदि इन वस्तुओं का आयात न किया जाये तो माँग और पूर्ति में असन्तुलन होगा। पूर्ति जितनी कम होगी, वस्तुओं के दाम उतने ही बढ़ेंगे ।Mehangai Par Nibandh
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जनसंख्या में वृद्धि- भारत में जनसंख्या तीव्रता से एवं अनियन्त्रित रूप में बढ़ रही है। जनसंख्या के इस विशाल आकार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी वस्तुओं और सेवाओं का बड़े आकार में होना अनिवार्य है। दुर्भाग्य से, भारत में कृषि और उद्योग के क्षेत्र में उतनी तीव्रता से उन्नति एवं उत्पादन की वृद्धि नहीं हो रही, जितनी की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। इसका स्वाभाविक परिणाम अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कमी है, इसी के परिणामस्वरूप अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि जारी है।Mehangai Par Nibandh
मुद्रा का प्रसार भारत में मुद्रा- प्रसार की प्रवृत्ति तृतीय योजना के प्रारम्भिक काल से ही बनी हुई है। मुद्रा-प्रसार के बहुत से कारण रहे हैं, किन्तु उसका परिणाम एक ही रहा है-मूल्यों में वृद्धि। यद्यपि सरकार की ओर से बार-बार यह आश्वासन दिया जाता रहा है कि मुद्रा-प्रसार को अब कम कर दिया जायेगा एवं इस प्रवृत्ति को रोका जायेगा। किन्तु अभी तक इस दिशा में कोई महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। मुद्रा-प्रसार को यदि नियन्त्रण में कर लिया जाये तो उससे मूल्य-स्तर को नियन्त्रण में रखना सरल हो जाता है। Mehangai Par Nibandh
घाटे का बजट- भारत में बजट और पूँजी निर्माण की जो स्थिति है वह योजनाओं को पूरा करने के लिए बिल्कुल पर्याप्त नहीं है। अतः इस कमी को दूर करने के लिए, अन्य उपायों के अतिरिक्त घाटे की बजट प्रणाली को अपनाया जाने लगा है। पिछले कई बजटों में इस पद्धति को अपनाया गया है, जिससे अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में तेजी से वृद्धि हुई है। Mehangai Par Nibandh
अव्यवस्थित वितरण प्रणाली- भारत में अधिकतर विक्रेता संगठित हैं। इसके परिणामस्वरूप वह आपस में मिलकर वस्तुओं की खरीद, संचय एवं बिक्री के विषय की नीति का निश्चय करते हैं। धीरे-धीरे वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि होने लगती है। यदि सरकार इन प्रवृत्तियों को रोकने में असमर्थ होती है तो यह संस्थाएँ मूल्यों को निरन्तर बढ़ाती जाती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को क कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।Mehangai Par Nibandh
धन का असमान वितरण- भारत में आर्थिक असमानता बहुत बड़े आकार में विद्यमान है। धन के असमान वितरण का विशेष रूप से उन वस्तुओं के मूल्यों पर प्रभाव पड़ता है जिनकी माँग तो बहुत अधिक है, किन्तु पूर्ति अत्यन्त सीमित। इनमें विलासिता की वस्तुएँ एवं कीमती वस्तुएँ भी शामिल हैं। रोजगार की कमी एवं मूल्यों में वृद्धि से निर्धनों को जीवन-यापन की अधिकतर वस्तुओं और साधनों को जुटाना कठिन हो जाता है। Mehangai Par Nibandh
समस्या का निदान
(1) कृषि पर अधिक ध्यान देना, (2) सिंचाई की सुविधा, (3) वितरण प्रणाली में बदलाव, (4) भ्रष्टाचार पर अंकुश ।
उपसंहार- कृत्रिम अभाव के सृजन एवं मूल्यों में निरन्तर वृद्धि से कालाबाजारी एवं अत्यधिक लाभ कमाने की प्रवृत्ति बढ़ती है। भारत में भी यह प्रवृत्ति अभी तक विद्यमान है। यह दोनों ही प्रवृत्तियाँ देश की अर्थव्यवस्था को अवांछित रूप से प्रभावित करती हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि सरकार की ओर से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रयासों के द्वारा इन प्रवृत्तियों को रोकने का बराबर प्रयास किया जा रहा है, किन्तु इस दिशा में अभी पूरी सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। लोकमंगल की भावना एवं पवित्र मन से यथार्थ प्रयास करने से ही इसका निदान सम्भव है। यदि हम सभी परिश्रम से कार्य करें, उत्पादन अधिक बढ़ाएँ और मितव्ययिता से जीवन को चलाने की आदत डालें तो महँगाई की समस्या का हल हमें अपने आप ही मिल सकता है।
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Mehangai Par Nibandh 100 Words – 150 Words
महँगाई एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है जो हमारे समाज के विकास में आई समस्याओं में से एक है। महँगाई का मतलब है कीमतों की बढ़ोतरी, जिसका सीधा प्रभाव आम लोगों की जीवनशैली पर पड़ता है। महँगाई से लोगों के रोज़मर्रा के खर्च में वृद्धि होती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है।
महँगाई के कारण लोगों को जीवन की बुनाई-बुनाई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, और वे अपने आर्थिक लक्ष्यों को पूरा कर पाने में सक्षम नहीं होते हैं। महँगाई का सीधा प्रभाव गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर ज्यादा होता है, जिनके पास सामान्य जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते।
महँगाई को कम करने के लिए सरकार को नीतियों को सुधारने और लोगों के लिए सस्ते और उपयुक्त वस्त्रों, खाद्य आदि की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। व्यापारिक प्रथाओं में पारदर्शिता और संविदानिकता को बढ़ावा देना भी महँगाई को कम करने में मदद कर सकता है।
समापक रूप से, महँगाई एक महत्वपूर्ण समस्या है जिसका समाधान सरकार और समाज के सहयोग से हो सकता है। इसके बिना, गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों का जीवन और भी कठिन हो सकता है।
Mehangai Par Nibandh 200 Words – 250 Words
महंगाई भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या है जो रोजमर्रा की जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है। यह एक स्थायी समस्या बन चुकी है और लोगों के जीवन को परेशानी में डाल दिया है।
महंगाई का मतलब होता है कीमतों में वृद्धि, जिसका प्रमुख कारण आर्थिक नीतियों और बाजार की अस्थिरता है। यह विभिन्न चीजों के लिए जैसे कि खाद्य, पेट्रोल, इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं के लिए महंगाई की वजह से जीवन बिताना मुश्किल हो गया है।
महंगाई के चलते गरीब और मध्यवर्ग के लोग अपने रोजगार में समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। इसके परिणामस्वरूप लोगों की जीवनशैली पर भी असर पड़ रहा है, और वे मनोबल से डूबे हुए हैं।
महंगाई का समाधान ढूंढने के लिए सरकार को नीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बुराईयों के साथ-साथ भरपूर सुरक्षितीकरण और न्यायपूर्ण वितरण हो, ताकि आम लोगों को अधिक दुख नहीं झेलना पड़े।
समापन के रूप में, महंगाई भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसका समाधान केवल सरकार के साथ-साथ समाज के सहयोग से हो सकता है। हमें सभी को मिलकर काम करना होगा ताकि हम इस समस्या का समाधान प्राप्त कर सकें और सभी को बेहतर जीवन जीने का अवसर मिले।
Mehangai Par Nibandh 500 Words
प्रस्तावना:
महँगाई एक ऐसी समस्या है जो आजकल के समय में सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है। यह समस्या न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में एक बड़ी समस्या बन चुकी है। महँगाई का अर्थ होता है किसी वस्त्र, सेवाओं या वस्तुओं की मूल्यों की बढ़ोतरी। इसका प्रमुख कारण है अर्थव्यवस्था में बदलाव और मूल्यों में वृद्धि।
महँगाई के कारण:
महँगाई के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं:
- वित्तीय पॉलिसी: सरकारों की वित्तीय पॉलिसी और कर नीतियां महँगाई के कारणों में से एक हैं। करों की बढ़ोतरी और अन्य वित्तीय प्रतिबंधों के कारण उत्पादकों को वस्त्र, खाद्य, और अन्य आवश्यक चीजों की निर्माण में अधिक लागत आती है, जिससे मूल्यें बढ़ जाती हैं।
- पेट्रोलियम उत्पादों की महँगाई: पेट्रोल, डीजल, और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की महँगाई बड़ी हद तक जीवन की लागत को बढ़ा देती है। यह सड़क यातायात, उद्योगों, और किसानों के लिए सीधे प्रभावित करता है।
- आधारभूत आवश्यकताओं की महँगाई: खाद्य, बिजली, पानी, और अन्य आवश्यक आपूर्ति की महँगाई भी लोगों को प्रभावित करती है।
- उत्पादन और परिवहन की महँगाई: उत्पादन और परिवहन की महँगाई के कारण सामग्री की महँगाई बढ़ जाती है, जिससे उत्पादकों को अधिक लागत आती है और सामान के दाम बढ़ जाते हैं।
महँगाई का प्रभाव: महँगाई का सबसे बड़ा प्रभाव आम जनता पर होता है। यह लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है और उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर करता है।
- आर्थिक बोझ: महँगाई के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति में कमी होती है। वे अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मुश्किलों का सामना करते हैं और अधिक उचित जीवन जीने की इच्छा रखते हैं।
- भूखमरी: महँगाई के कारण खाद्य पदार्थों की महँगाई बढ़ जाती है, जिससे गरीब और असमर्थ वर्ग के लोगों को भूखमरी का सामना करना पड़ता है।
- विकास में बाधा: महँगाई के कारण विकास के कई कार्यक्रमों को प्रभावित किया जा सकता है। सरकारें अक्सर अपने संसाधनों को महँगाई के साथ साझा करने में संकोच करती हैं, जिससे विकास को बाधित किया जा सकता है।
महँगाई के निवारण के उपाय: महँगाई को कम करने के लिए कई उपाय हो सकते हैं:
- वित्तीय सुधार: सरकारें वित्तीय पॉलिसी में सुधार करके करों को कम कर सकती हैं और व्यापार को प्रोत्साहित कर सकती हैं।
- पेट्रोलियम सब्सिडी: सरकारें पेट्रोलियम उत्पादों पर सब्सिडी प्रदान करके महँगाई को कम कर सकती हैं।
- खाद्य सुरक्षा: खाद्य पदार्थों के सबसे असमर्थ वर्ग के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों को मजबूत किया जा सकता है।
- उत्पादन में सुधार: उत्पादकों को तकनीकी और प्रौद्योगिकी में सुधार करके उत्पादन में लागत को कम किया जा सकता है।
- लोगों की जागरूकता: लोगों को महँगाई के प्रति जागरूक बनाना महत्वपूर्ण है। वे अपने खर्च को संवेदनशीलता के साथ कम कर सकते हैं और बचत कर सकते हैं।
समापन: महँगाई एक समस्या है जिसने आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकारों को योजनाएं बनानी चाहिए और लोगों को भी जागरूक होना चाहिए कि कैसे वे इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। इसके बिना, महँगाई आगे बढ़ती रहेगी और लोगों की आर्थिक स्थिति को और भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
महंगाई की समस्या पर निबंध 600 Words
रूपरेखा :
- प्रस्तावना –
- आवश्यक वस्तुओं हुई महंगी –
- भारत की आर्थिक नीतियों की विफलता –
- विदेशी कर्ज में डूबा देश –
- गरीबी को दूर करके विकास को करना है संभव –
- उपसंहार।
परिचय | महंगाई की समस्या की प्रस्तावना –
कोई भी वस्तुओं और उत्पादों की कीमत में वृद्धि होने को महंगाई । महंगाई के कारन देश की अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आते हैं। महंगाई मनुष्य की रोजी-रोटी को भी प्रभावित करता है। बढती हुई महंगाई भारत की एक बहुत ही गंभीर समस्या है। सरकार एक तरफ महंगाई को कम करने की बात करती है वही दूसरी तरफ महंगाई दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। आज देश में महंगाई मानो आसमान छू रही हो। कई लोग महंगाई के कारन शहर को छोड़कर अपने गांव बस जाते है क्यूंकि रोज की महंगाई उन्हें शहर में बसने नहीं देती। आज सभी लोग महंगाई को कम करने की मांग कर रही है। परंतु महंगाई देश में साल-दर-साल ऊपर चली जा रही है।Mehangai Par Nibandh
आवश्यक वस्तुओं हुई महंगी –
कमरतोड़ महंगाई जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि (महंगी) उत्पादन की कमी और माँग की पूर्ति में असमर्थता की परिचायक है। बढ़ती हुई महंगाई जीवन-चालन के लिए अनिवार्य तत्त्वों (कपड़ा, रोटी, मकान) की पूर्ति पए गरीब जनता के पेट पर ईंट बाँधती है, मध्यवर्ग की आवश्यकताओं में कटौती करती है, वही धनिक वर्ग के लिए आय के स्रोत उत्पन्न करती है। Mehangai Par Nibandh
देसी घी तो आँख आँजने को भी मिल जाए तो गनीमत है। वनस्पति देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी बहुत रजत-पुष्प चढ़ाने पड़ते हैं | पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल, रसोई गैस की दिन-प्रतिदिन बढ़ती मूल्य-वृद्धि ने दैनिक जीवन पर तेल छिड़ककर उसे भस्म करने का प्रवास किया है। तन ढकने के लिए कपड़ा महंगाई के गज पर सिकुड़ रहा है। सब्जी, फल, दालें और अचार गृहणियों को पुकार-पुकार कर कह रहे हैं – ‘ रूखी सूखी खाय के ठंडा पानी पिए।’ रही मकान की बात, अगर महंगाई की यही स्थिति रही तो लोग जंगल में रहने लगेंगे। दिल्ली की हालत यह है कि दो कमरे-रसोई का सैट तीन-चार हजार रुपये किराये पर भी नहीं मिलता। इतने महंगाई में कैसे गुजरा करेंगे देश के गरीब वर्ग और मध्य वर्ग के लोग।
भारत की आर्थिक नीतियों की विफलता –
बढ़ती हुई महंगाई भारत-सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता का परिणाम है। प्रकृति के रोष और प्रकोप का फल नहीं, शासकों की बदनीयती और बदइंतजामी की मुँह बोलती तस्वीर है। काला धन, तस्करी और जमाखोरी महंगाई-वृद्धि के परम मित्र हैं। तस्कर खुले आम व्यापार करता है । काला धन जीवन का अनिवार्य अंग बन चुका है। काले धन की गिरफ्त में देश के बड़े नेताओं से लेकर उद्योगपति और अधिकारी तक शामिल हैं । काले धन का सबसे बुरा असर मुद्रास्फीति और रोजगार के अवसरों पर पड़ता है। यह उत्पादन और रोजगार की संभावना को कम कर देता है और दाम बढ़ा देता है।
इतना ही नहीं सरकार हर मास किसी-न-किसी वस्तु का मूल्य बढ़ा देती है। जब कीमतें बढ़ती हैं तो किसी के बारे में नहीं सोचती। दिल्ली बस परिवहन ने किराये में शत-प्रतिशत वृद्धि के परिणामत:दूसरी ओर टैक्सी वालों ने भी रेट बढ़ा दिए। विदेशी कर्ज और उसके सेवा-शुल्क (ब्याज) ने भारत की आर्थिक नीति को चौपट कर रखा है। भारत का खजाना खाली हो रहा है। Mehangai Par Nibandh
विदेशी कर्ज में डूबा देश –
एक ओर विदेशी कर्ज बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर व्यापारिक संतुलन बिगड़ रहा है। तीसरी ओर राष्ट्रीयकृत उद्योग निरन्तर घाटे में जा रहे हैं । इनमें प्रतिवर्ष अरबों रुपयों का घाटा भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाही और बेईमान ठेकेदारों के घर में पहुँच कर जन-सामान्य को महंगाई की ओर धकेल रहा है।
गरीब देश की बादशाही-सरकारों के अनाप-शनाप बढ़ते खर्च देश की आर्थिक रीढ़ को तोड़ने की कसम खाए हुए हैं। मंत्रियों की पलटन, आयोगों की भरमार, शाही दौरे, योजनाओं की विकृति, सब मिलाकर गरीब करदाता का खून चूस रही हैं। देश में खपत होने वाले पेट्रोलियम-पदार्थों के कुल खर्च का एक बड़ा हिस्सा राजकीय कार्यों में खर्च होता है, लेकिन प्रचार माध्यमों से बचत की शिक्षा दी जाती है -‘तेल की एक-एक बूँद की बचत कीजिए।’
गरीबी को दूर करके विकास को करना है संभव –
सरकारों द्वारा आयात शुल्क तथा उत्पाद शुल्क बढ़ाए गए हैं । रेलवे ने मालभाड़ा बढ़ाया है तथा यात्री किरायों में वृद्धि की है। डाक की दरें भी बढ़ी हैं। लिफाफे का मूल्य एक रुपये से बढ़कर तीन रुपए हो गया है। इन सब बढ़ोत्तरियों का असर कीमतों पर पड़ना लाजिमी है। कीमतें बढ़ने का मुख्य कारण आर्थिक उदारीकरण है। उदारीकरण के तहत उद्योगपतियों और व्यापारियों को खुली छूट दी गयी है कि वे जितना चाहे ग्राहक से वसूलें। जिन अनेक चीजों पर से मूल्य नियन्त्रण उठा लिया गया है, उनमें दवाएँ भी हैं। अनेक अध्ययन यह बताते हैं कि पिछले पाँच-छह वर्षों में दवाओं की कीमतें बेतहाशा बढ़ी हैं । उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत में वृद्धि का एक बड़ा कारण मार्केटिंग का नया तंत्र है, जिसमें विज्ञापनबाजी पर बेतहाशा खर्च किया जाता है। एक रुपया लागत की वस्तु दस रुपये में बेची जाती है। इन सबसे बचकर हमें गरीबी को दूर करने के बारे में सोचना चाहिए। गरीबी जब दूर होगी तभी देश की व्यवस्था ठीक होगी। हमें गरीबी को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। अगर हमे हमारे देश से गरीबी को हटाना है तो हमे महंगाई को जड़ से मिटाना होगा।Mehangai Par Nibandh
उपसंहार –
अधिक नोट छापने का गुर एवं विदेशी और स्वदेशी ऋण घाटे की खाई को पार करने के सेतु हैं, खाई भरने की विधि नहीं। जब घाटे की खाई भरी नहीं जाएगी, तो मुद्रास्फीति बढ़ती जाएगी। ज्यों-ज्यों मुद्रास्फीति बढ़ेगी, महंगाई छलाँग मार-मार कर आगे कूदेगी। जनता महंगाई की चक्की में और पिसती जाएगी। महंगाई को रोकने के लिए समय-समय पर हड़तालें और आंदोलन चलाये गये हैं लेकिन फिर भी महंगाई कम नही हुए है।
महंगाई की वजह से गरीब लोग पहनने के लिए कपड़े नहीं खरीद पाते हैं तथा अपने परिवार एक वक़्त का खाना ठीक से नहीं करा पाते है। महंगाई को कम करने के लिए उपयोगी राष्ट्र नीति की जरूरत है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है उस तरीके से महंगाई को रोकना बहुत ही जरूरी है नहीं तो हमारी आजादी को दुबारा से खतरा उत्पन्न हो जाएगा। हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण देश की बढती जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जा सकता महंगाई कम नहीं होगी। महंगाई की वजह से निम्न वर्ग के लोगों को जरूरत की चीजें नहीं मिल पाती हैं और इससे अपने रोजमरा जीवन में खुशी से जीवन व्यतीत नहीं कर पाते हैं।Mehangai Par Nibandh